यहाँ रुकी थी भगवान  शिव की बारात - इतिहास, भूतनाथ मंदिर ऋषिकेश

यहाँ रुकी थी भगवान शिव की बारात - इतिहास, भूतनाथ मंदिर ऋषिकेश

भगवन शिव देवो के देव है इसीलिए उनको महादेव कहा जाता है , उत्तराखंड उनका ससुराल माना जाता है और  , माता सती का मायका , यहाँ के कण कण में शिव बसे है , समूचे उत्तराखंड में भगवन शिव की उपस्थिति महसूस होती है , इसीलिए शायद यहाँ भगवन शिव के मंदिर भी अपने आप में अविस्मरणीय है , वैसे तो भारत वर्ष में अनेको शिव के मंदिर है है लेकिन अगर बात उत्तराखंड की की जाये तो 100  से भी अधिक मंदिर आपको शिव के मिल जायेंगे , जिनकी अनोखी  मान्यताये आपको शिव प्रेम में डाल देंगी, इन्ही शिव मंदिरो में से एक मंदिर आता है भूत नाथ मंदिर जो की ऋषिकेश में राम झूला से कुछ ही दूरी पर मणिकूट पर्वत पर स्थित है , यह मंदिर इतिहास के नजरिये से बहोत एहम माना जाता है क्युकी इसका सम्बन्ध शिव विवाह से जुड़ा है , साथ ही साथ हनुमान जी से भी तो चलिए जानते है भूत नाथ मंदिर की कहानी  जो आज तक अपने नहीं सुनी होगी ।  

भूत नाथ मंदिर कहाँ स्थित है ?

ऋषिकेश के राम झूला में कुछ ही दूर भूतनाथ मंदिर स्थित है , जो स्वर्गाश्रम क्षेत्र के जंगलो से घिरा हुआ है , और जिस पर्वत पर यह मंदिर स्थित है उस पर्वत का नाम मणिकूट है , 1952 में स्वामी कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट ने यहाँ  पर भूतनाथ मंदिर का निर्माण कराया.

 

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भूत नाथ मंदिर का इतिहास (history of bhootnath temple)

जब भगवन शिव माता सती से विवाह करने के लिए अपनी भूतो की टोली को लेकर हरिद्वार से निकले थे जिसमे सभी भूत प्रेत , देवता , दानव थे , उन सभी ने मणिकूट पर्वत की इसी पहाड़ी पर विश्राम किया था , और यही पर सभी भूतो के साथ रात्रि विश्राम किया था , इसी के साथ एक चीज़ और हैरान कर देने वाली है अगर आप यहाँ कभी भी आओगे तो तो शिव की मूर्ती के पास आप 8 घंटिया देखोगे और पाओगे की हर घंटी  से अलग आवाज़ आती है।  

मंदिर की संरचना 

यह मंदिर 7  मंज़िला है और  राजाजी नेशनल पार्क से घिरा हुआ है , और मंदिर से ऋषिकेश का बेहद खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है , चारो तरफ हरियाली आपको आकर्षित करती है और और आपका मन मोह लेती है 

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और मंदिर की दीवारों पर आपको भगवन शिव की समस्त कहानिया और मान्यताये चित्रित मिलती है ,  ऋषिकेश में जो आता है भूयनाथ मंदिर की सुंदरता और भगवन शिव का आशीर्वाद लिए बिना नहीं जा पाता

हनुमान जी का इतिहास 

माना जाता है की जिस मणिकूट पर्वत पर शिव का ये मंदिर स्थित है वही से ही हनुमान जी राम जी के भाई लक्मण जी के लिए संजीवनी बूटी ले कर आये थे, 

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