बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर कथा हरिद्वार
हरिद्वार का बिल्वकेश्वर वह मंदिर है जहां मां पार्वती ने अपने पति शिव को पाया था। पूरे तीन हजार साल तक एक बिल्व के पेड़ के नीचे जाकर तपस्या की थी, हरिद्वार में भगवान शिव को दो-दो बार अपनी पत्नी मिली एक बार दक्ष पुत्री सती के दूसरी माँ पार्वती के रूप में,
हरिद्वार में स्थित माया देवी की कहानी
इस मंदिर में हजारो साल पुराने नीम का पेड़ है जिसके नीचे सिंभू लिंग है इस लिंग की पूजा करने से माता से अच्छे वर की प्राप्ति होती है इसलिए सभी जगह से कुवारी लड़की इस मंदिर में आ कर अपने लिए एक अच्छी वर मांगती है क्यूकी मां पार्वती ने यहां भी सेट कर टैप किया गया था, और शिव की प्राप्ति हुई थी अब कलयुग में शिव तो स्वयं नहीं आ सकते तो लड़किया शिव की छवि अपने लिए वर मांगती है।
जो भी इस मंदिर में अपने वर मांगता है उसके अनुसार उसकी इच्छा वर मिलती है, कुरी महिलाएं यहां आ कर लिंग पर बेल पत्र, जल, और फूल चढ़ाती है जिससे भोले शंकर प्रसन्न होते हैं, और उनके मन की इच्छा होती है,
हरिद्वार में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर की कहानी
पार्वती कुंड की कहानी
इस मंदिर के पास ही एक पार्वती कुंड भी है जहां के जल से रोज सुबह भगवान शंकर स्नान करते हैं इस कुंड की मान्यता है कि जब मां पार्वती भोले शंकर के लिए तपस्या कर रही थीं तब इस जंगल में आई थीं तब यहां न खाने के लिए नहीं था पानी तब ब्रम्हा जी ने यहां मां गंगा की धारा प्रवाहित की थी और यहां पानी का कुंड बन गया था,, उस पानी को पीकर मां पार्वती ने अपनी प्यास बुझाई और वन में स्थित फलो को खा कर अपनी भूख शांत की, मंदिर से कुछ ही दूरी पर आपको पार्वती कुंड मिल जाएगा जो गौरी कुंड के नाम से भी जाना जाता है