कौन है माँ कुंजापुरी - History of maa Kunjapuri

माँ कुंजापुरी कौन है - माँ कुंजापुरी का इतिहास

कुंजा देवी मंदिर का इतिहास (मां कुंजापुरी का इतिहास)

कुंजा देवी सती का मंदिर है, यह शिवालिक पर्वतमाला में स्थापित तीन शक्ति पीठों में से एक है और जगद्गुरु तीर्थ द्वारा पर्वतमाला पुरी में स्थापित तीन शक्ति पीठों में से एक है। जिले की अन्य दो शक्ति पीठों में एक सुरकंडा देवी का मंदिर और चन्द्रबदनी देवी का मंदिर हैं। कुंजापुरी, इन दोनों पृष्टियों के साथ एक पवित्र त्रिकोण रचनाएँ हैं। मां कुंजापुरी शक्तिपीठ मां सती के 52 शक्तिपीठों में से 1 सबसे प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, यह कहानी आपको सही से पता है कि राजा प्रजापति दक्ष ने अपने कनखल में यज्ञ आयोजन किया था और सभी देवी देवताओं को उन्होंने आने का आशीर्वाद दिया लेकिन शिव और सती को उपदेश नहीं मिला लेकिन माता उस यज्ञ में जाने को उत्सुक थीं उन्होंने शिव से कहा कि हम भी जीवित हैं,

शिव ने उन्हें मना लिया लेकिन मां सती ने न मनी और शिव के मन करने के बाद भी अपने पिता के यहां यज्ञ में पहुंच गए, लेकिन उनकी मां के अलावा उनके आदर सती ने न किए और जब मां सती ने अपने पिता दक्ष से शिव को मना लिया न बिलने का कारण पूछा तो प्रजापति दक्ष ने शिव को अपमानित करने की बात कही, ये सुन कर मां सती बेहद दुखी हो गईं और अपने पति की बेइज्जती न कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में अपना आत्मदाह कर लिया जब ये बात शिव को पता चली तो वो सीधे राजा दक्ष के यहाँ और उनकी पत्नी की जलता देख

तांडव शुरू हुआ और माता सती के जले हुए शरीर को अपने त्रिशूल में उठाकर पूरे आकाश में भ्रमण करने लगे, जिसे देखकर सभी देवता हो गए और भगवान विष्णु जी के पास गए, तब भगवान विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती को जन्म दिया। के जले हुए शरीर के टुकड़ों को 52 स्थानों में विभाजित कर दिया गया और वो भाग जिन स्थानों पर स्थित हैं, वे स्थान शक्ति पुनरुद्धारित हैं, इस स्थान पर मां सती के कुंज (बाल) के अवशेष थे, इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा।

मंदिर के अंदर पवेश करते हैं आपको मां दुर्गा के 2 शेरों के दर्शन, जो मां दुर्गा के चाहने की चाहत रखती है और जो भी महिला है इस मंदिर में ए वो अपने जीवन में इन्ही शेरों की तरह निडर रहे, कुंजापुरी शक्तिपीठ समुद्र तल से 1676 मीटर के वॉलपेप पर एक बेहद खूबसूरत पर्वत स्थित है | जहां से आपको हिमालय के सुंदरी, बंदरपूंछ, चौखंबा, हरिद्वार और दूनाघाटी के दृश्य दिखाई देते हैं। आदिवासियों से बीस किलोमीटर की दूरी पर आपको ये मंदिर मिल जाएगा, अब बात यह है कि ये बहुत सुंदर मंदिर है, इतनी ऊंची चोटी ने बनाया है, दोस्तों आदि गुरु देवता जो कि शिव अवतार थे, हिंदू सिद्धांत एवं संपूर्ण कलियुग के धर्मगुरु थे एवं जिनमें बौद्ध धर्म के सबसे महान निर्माताओं में जाना जाता है, वे न सिर्फ कुंजापुरी बल्कि भारत में अनेको मंदिर और मठो की स्थापना की आज आदि गुरु शिष्यों की वज़ह से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को देखने और समझने के काबिल हुए हैं

कैसा है हिमाचल कुंजापुरी मंदिर

हवाई मार्ग से - ट्रेन द्वारा - सड़क मार्ग से

निकटतम हवाई अड्डा - देहरादून जॉली ग्रांट ( 67.5 किमी) एनएच 34

निकटतम रेलवे स्टेशन - ऋषिकेश (31 किमी) एनएच 34

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