History of Katarmal Sun Temple
अल्मोड़ा से 18 किलोमीटर की दूरी पर आता है उत्तराखंड का पहले sun temple कटारमल सूर्य मंदिर जो बेहद रहस्य्मयी है , और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है|
उत्तराखंड को धार्मिक पर्यटन के लिए जाना जाता है समतल मैदानों से लेकर हिमालय को चोटियों तक मंदिरो की भरमार है यह मंदिर तक़रीबन नवी शताब्दी का बताया जाता है आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया (A.S.I )की देख रेख मैं इस मंदिर को रखा गया है क्यूंकि यह मंदिर अति प्राचीन धरोहरों से एक है |
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विश्व का सबसे बड़ा और पहला मंदिर ओडिशा मैं है जिसका नाम कोणांक सूर्य मदिर है और अल्मोड़ा का सूर्य मंदिर दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है । यहाँ हर साल लाखों की तादाद मे दर्शनार्थी पहुँचते है |
इस मंदिर की मान्यतायें सतयुग से मिलती है माना जाता है की यहाँ और एक कालनेमि राक्षस का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिसको देखकर देवता गण बहुत ज्यादा चिंतित हुए और उन्होंने सूर्य देव का आवाहन किया, भगवान सूर्य देव भी देवताओं के आवाहन पर आये और कालनेमि राक्षस का वध किया और इसके बाद यही बरगद के पेड़ पर विराजमान हुए ,
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इसीलिए इन्हे बड़ादित्य भी कहा जाता है इस सूर्य मंदिर की सबसे खास बात यह है की साल में केवल दो दिन सूरज की किरणे सीधा मंदिर पर गिरती है ओर यह चमत्कार 22 फरवरी और 22 अक्टूबर को होता है और इस चमत्कार को देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहाँ आते है।
इस परिसर में कुल मिला कर 45 छोटे और बड़े मंदिर है जिनके अंदर मूर्तिया स्थापित नहीं है कहा जाता है की पहले यहाँ पर मूर्तिया हुआ करती थी लेकिन एक दिन यहाँ चोरी होने के कारन सभी मूर्तियों को सूर्य मंदिर गर्भ ग्रह में संरक्षित कर दिया गया।
एक ही दिन में बने थे ये मंदिर ?
इस मंदिर को लेकर एक मिथक यह भी है की यह सभी मंदिर एक ही दिन में बने है लेकिन इसमें कितनी सचाई है उसका पता लगाना थोड़ी मुश्किल है क्यूंकि यहां हर किसी के अपने विचार है कहा तो यह भी जाता है की मजदूरों को यह मदिर बनाने के लिए सूर्योदय से पहले का समय दिया गया था लेकिन सूर्योदय से पहले मंदिर की छत नहीं बन पायी इसीलिए मंदिर की छत टूटी हुई दिखती है ,
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लेकिन ASI कभी इस बात का दावा नहीं करती है की यह सभी मंदिर एक दिन में बने थे , और यहाँ के स्थानीय निवासी हरीश बिष्ट जी भी इस बात की पुस्टि करते है की हाँ ऐसा सही है और इसके वो साक्ष वि देते है उन्होंने हमसे बात की और इस मंदिर के बारे में खूब जानकारिया भी दी जो की आप निचे दी गयी वीडियो में देख सकते है
यहां पर एक अचंभे की बात यह है की सूर्य मंदिर के अंदर मूर्ति लगी है वो लकड़ी की है और इस मूर्ति पे न कभी सड़न होती है न कभी गलन |
इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के राजा कटारमल ने करवाया था और इसी राजा के नाम पर इस मंदिर का नाम कटारमल सूर्य मंदिर पड़ा और इसी राजा के नाम पर यहां पर स्तिथ गांव का नाम भी कटारमल पड़ा उसे पहले यह अधेली सुनार के नाम से जाना जाता था