कौन है माँ कुंजापुरी - History of maa Kunjapuri

कौन है माँ कुंजापुरी - History of maa Kunjapuri

कुंजापुरी देवी मंदिर का इतिहास (History Of maa Kunjapuri )

कुंजापुरी देवी सती  का मंदिर है, यह शिवालिक रेंज में तेरह शक्ति पीठों में से एक है और जगदगुरु शंकराचार्य द्वारा टिहरी जिले में स्थापित तीन शक्ति पीठों में से एक है। जिले के अन्य दो शक्ति पीठो में एक सुरकंडा देवी का मंदिर और चन्द्रबदनी देवी का मंदिर हैं। कुंजापुरी, इन दोनों पीठों के साथ एक पवित्र त्रिकोण बनाता हैं। माँ कुंजापुरी शक्तिपीठ माँ सती के  52  शक्तिपीठ में से 1  सबसे प्रसिद्द शक्ति पीठ है , ये कहानी तो आप सही को पता है की राजा प्रजापति दक्ष ने अपने कनखल में यज्ञ आयोजन करवाया था और सभी देवी देवताओ को वह आने का आमंत्रण दिया लेकिन शिव और सती को आमंत्रण नहीं मिला लेकिन माता उस यज्ञ में जाने को उत्सुक थी उन्होंने शिव से कहा की चलिए हम भी चलते है , 

शिव ने उन्हें मना लिया लेकिन माँ सती न मानी और शिव के मना करने के बाद भी अपने पिता के यहाँ यज्ञ में पहुँच गयी , लेकिन उनकी माँ के अलावा उनका आदर सत्कार किसी ने न किया और जब माँ सती ने अपने पिता दक्ष से शिव को न बिलने  का कारण पूछा तो प्रजापति दक्ष ने शिव को अपमान जनक बाते सुनाई ये सुन कर माँ सती अत्यंत दुखी हुई और अपने पति की बेइज़ती बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में अपना आत्मदाह कर लिया जब ये बात शिव को पता चली तो वो सीधा राजा दक्ष के यहाँ पहुंचे और अपनी पत्नी की जलता देख

 

 

तांडव करना शुरू किया और माता सती के जले हुए शरीर को अपने त्रिशूल में उठा के पूरे आसमान में  भ्रमण  करने लगे जिसे देख कर सभी देवता विचलित हो गए और भगवन विष्णु जी के पास पहुंचे , तब भगवन विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के जले हुए शरीर के टुकड़ो को 52  हिस्सों में विभाजित कर दिया और वो हिस्से जिन जगहों पर गिरे वो जगह शक्ति पीठ कहलायी , इस जगह पर माँ सती के कुञ्ज ( बाल ) गिरे थे इसीलिए इस जगह का नाम कुंजापुरी हुआ ।

मंदिर के अंदर पवेश करते ही आपको माँ दुर्गा के  २ शेर देखने को मिलेंगे जो माँ दुर्गा के चिह्न  को दर्शाते है और चाहते है जो भी स्त्री इस मंदिर में ए वो अपने जीवन में इन्ही शेरो की तरह निडर रहे , कुंजापुरी शक्तिपीठ समुद्र तल से 1676 मीटर की ऊंचाई पर एक बेहद खूबसूरत पर्वत पर  स्थित है | जहाँ से आपको हिमालय के सुंदर , बंदरपूँछ, चौखंबा  ऋषिकेश, हरिद्वार और दूनघाटी के दृश्य दिखाई देते हैं । ऋषिकेश से २० किलोमीटर की दूरी पर आपको ये मंदिर मिल जायेगा , अब बात अति है ये खूबसुरत मंदिर इतनी ऊँची चोटी ने बनाया किसने , दोस्तों अदि गुरु शंकराचार्य  जो कि शिव अवतार, हिन्दू दार्शनिक एवं संपूर्ण कलियुग के धर्मगुरु थे एवं जिन्हें हिन्दुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में जाना जाता है,  उन्होंने न सिर्फ कुंजापुरी बल्कि भारत में अनेको मंदिर और मठो की स्थापना की आज अदि गुरु शंकराचार्य की वजह से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को देखने और और समझने के काबिल हुए है  

कैसे पहुंचे कुंजापुरी मंदिर 

By Air - By Train - By Road

Nearest airport - Dehradun Jolly Grant (67.5 km ) NH 34

Nearest Railway Station - Rishikesh ( 31 KM) NH 34

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