History of Mangalnath Temple Ujjain - क्यों यह मंदिर है मांगलिकों के लिए वरदान
वैसे तो उज्जैन में अनेको मंदिर है और हर मंदिर का अलग इतिहास है , ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है जिसका नाम मंगलनाथ है और यह मंदिर पृथ्वी के ठीक बीचो बीच स्थित है , आइये जानते है इस मंगलनाथ मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास और मान्यताये।
मंगलनाथ मंदिर शिव नगरी उज्जैन में बसा हुआ है , लेकिन यह शिव का मंदिर नहीं है बल्कि शिव जी से इस मंदिर का दूर दूर तक नाता नहीं है , यह मंदिर नव गृह में से एक मंगल भगवन को समर्पित है , मंगल ग्रह लाल होता है इसीलिए इस मंदिर की दीवारे भी लाल ही बनवाई गयी है
Mangalnath Mandir Ujjain History
स्कंदपुराण के अनुसार कर्क रेखा पर स्थित यह मंगल ग्रह का जन्म स्थान है , भगवन मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है , जिन लोगो के पहले , चौथे , सातवे , आठवे स्थान पर मंगल होता है उनकी कुंडली मांगलिक मानी जाती है , विवाह के लिए, क़र्ज़ मुक्ति के लिए मंगल की पूजा की जाती है , स्कंदपुराण में लिखा है की प्राचीन समय में भगवन शिव का अंडकासुर नाम के दैत्य के साथ युद्ध हुआ था और यह युद्ध 350 वर्ष तक चला , और जब भगवन थक गए तो उनके पसीने की बूँद धरती पर गिरी और पसीने से आग का गोला उत्पन्न होता है और अंडकासुर का वध होता है , और जब अंधकासुर की ज्वाला शांत होती है तो भगवन शिव उनको इस जगह पर बैठते है और कहते है की आप मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी बनेंगे और लोगो का भला करेंगे , और जब शिव जी के पसीनो की बूंदे धरती पर गिरी थी तब धरती दो हिस्सों में विभाजित हो गयी थी और वहाँसे मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई थी , और जब अंधकासुर का संहार हुआ था तब उसकी रक्त की बूंदे इस जगह पर गिरी थी जिस वजह से धरती लाल हो गयी थी तब से मंगल गृह की धरती लाल है। धरती के ठीक बीचो बीच मंगल का यह मंदिर स्थित है
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मंगल की पूजा करने से क्या होता है
बहोत से जातको के कुंडली में मंगल दोष होता है जिसकी वजह से उनकी शादिया नहीं हो पति , ऋण सर पर चढ़ा हुआ होता है तो मंगल पूजा करने से उनको मंगल दोष से छुटकारा मिल जाता है ,मंगल दोष की पूजा कब करनी चाहिए??
अगर आप उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में पूजा करना चाहते है तो आपको सबसे पहले मंगलनाथ मंदिर आना होगा, आपको यहाँ पर आकर बहोत सरे पंडित जी अपनी सभी सामग्री के साथ तैयार मिलेंगे आपको केवल दक्षिणा दे कर पूजा करवानी है सबसे ज्यादा प्रचिलित यहाँ का भात पूजन है जिसके लिए लोग देश विदेश से उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर में आते है , मंगल को गर्म ग्रह माना जाता है और चावल की तासीर ठंडी होती है इसीलिए मंगलनाथ को भात की पूजा की जाती है जो केवल मंगलवार को होती है , लेकिन बैसाख महीने के मंगवार को पुष्य नक्षत्र के दिन शिप्रानदी में स्नान करके मंगलनाथ मंदिर में दर्शन मात्र से ही आपको मंगल दोष से छुटकारा मिल सकता है , मंगलनाथ में कई तरह की पूजा होती है जैसे , मंगल गृह, नवग्रह , काल सर्प दोष। आप भी अगल अपने मंगल दोष से छुटकारा पाना चाहते है तो आप मंगलनाथ मंदिर ए और अपने दुखो से छुटकारा पाइये ,