तुंगनाथ मंदिर कहाँ है (where is tungnath Temple)
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है , इस मंदिर को 5000 वर्ष पुराना माना जाता है और तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। इसीलिए यह मंदिर भारत का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है, हिमालय के बीचो बीच बना यह शिव मंदिर श्रद्धालुओं के साथ साथ पर्यटकों का भी आकर्षण केंद्र है , जब मंदिर के कपाट खुलते है तो श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में आ जाती है , और जब कपाट बंद होते है तो पर्यटक बर्फ और ट्रेक्किंग करने मंदिर तक आते है और उसके ऊपर चंद्र शिल्ला तक जाते है जहाँ भगवन राम ने रावण का वध करने के बाद चंद्रशिला में ध्यान किया था , तो चलिए आज इस ब्लॉग के माद्यम से जानते है है आप कैसे तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचे
How To Reach Tungnath Temple
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तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए आप निम्न रास्तों का अनुसरण कर सकते है
- सबसे पहले आपको ऋषिकेश तक आना पड़ेगा , यहाँ तक आने के लिये आप बस ट्रेन या सड़क का इस्तेमाल कर सकते है |
- स्थानीय हवाई अड्डा जॉलीग्रांट देहरादून में है वह से आप ऋषिकेश आने के लिए टैक्सी या बस ले सकते है |
- रेल मार्ग से अगर आते है तो आपको ऋषिकेश तक आना पड़ेगा |
- ऋषिकेश से आपको श्रीनगर तक के लिए बस लेनी है |
- श्रीनगर से आपको रुद्रप्रयाग तक या उखीमठ तक के लिए बस मिल जाएगी |
- एक रात आप उखीमठ में रुक सकते है जहाँ आपको 600 से 1200 तक के अच्छे कमरे मिल जायेंगे जहाँ आपको गरम पानी के लिए गीज़र और रहने के लिए अच्छे कमरे मिल जायेंगे |
- अगले दिन आप चोपता के लिए निकल सकते है , चोपता जाने के लिए आपको उखीमठ से टैक्सी मिलती है जिसका किराया है 200 रूपए एक आदमी का , अगर यात्रा के दौरान जाते हो तो आपको टैक्सी आसानी से मिल जाती है लेकिन अगर सावन के महीने में जाते हो या सर्दियों में जाते हो तो आपको चोपता जाने में पेशानी हो सकती है क्युकी उस वक़्त वहां सवारिया आसानी से नहीं मिलती तो आपको 2000 रूपए किराया देना पड़ता है।
- जब आप चोपता तक आ जाते हो तो वहां से आप तुंगनाथ मंदिर के लिए निकल जाते हो और चोपता से तुंगनाथ का सफर मात्र 4 किलोमीटर का है जो आप २ या ३ घंटे में पूरा कर सकते है , साथ ही आप चंद्रशिला के दर्शन भी कर सकते हो जहाँ राम जी ने रावण को मरने के बाद तप किया था
- वापस आने के बाद आप चोपता में भी रुक सकते हो यहाँ आपको 1000 से 2500 तक के कमरे मिल जायेंगे
- यहाँ आपको दिन में बिजली की सुविधा नहीं मिलेगी
- केवल रात में आपको बिजली की सुविधा मिलेगी
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास भी अपने आप में रोमांचक है , पांच केदार की कहानी हमे अपने अतीत से जोड़ देती है, अगर आप पांच केदार की कहानी और इसके इतिहास के बारे में जानना चाहते है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये
History of Tungnath temple !! तुंगनाथ का इतिहास - तुंगनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?