सावन में जागेश्वर धाम जाने का अवसर प्राप्त हुआ , जैसे ही मानसून की शुरुआत हुई हम निकल पड़े अल्मोड़ा के मंदिरो के दर्शन करने , सबसे पहले कसार देवी के दर्शन किये और अगले दिन निकल पड़े जागेश्वर के दर्शन करने , वैसे तो हर मंदिर में हमारे साथ कुछ अलग अनुभव होता है लेकिन इस मंदिर में आ कर लगा की साक्षात् उस दिन शिव हमारे साथ है , कहानी हमारे साथ क्या घटित हुई वो तो तो आपको जरूर बताऊंगा लेकिन उस से पहले जागेश्वर धाम की महिमा के बारे में हम थोड़ा जान लेते हैं, वैसे तो अपने १२ ज्योतिर्लिंग के बारे में सुना होगा लेकिन भारत में सिर्फ १२ नहीं बल्कि बहोत सरे ज्योतिर्लिंग है लेकिन आपको सिर्फ प्रसिद्द ज्योतिर्लिंगों के बारे में ही पता है , उनमे से ही एक है जागेश्वर धाम जो की अल्मोड़ा में स्थित है ।
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जागेश्वर धाम ज्योतिर्लिंग की कहानी ( Jageshwar Dham Temple History)
ये जगह एक ऐसी जगह है जहाँ सबसे पहला शिवलिंग उत्पन्न व और शिवलिंग की पूजा की शुरुआत भी इसी मंदिर से शुरू हुई , इस मंदिर का वर्णन हमारे पुराणों जैसे स्कन्द पुराण और लिंग पुराण में मिलता है , सबसे खास बात ये है की यह मंदिर देवदार के घने पेड़ो से घिरा है और इस मंदिर के समीप जटा गंगा बहती है, कहते है जटा गंगा जहाँ से निकलती है वहां एक गुफा है और गुफा के अंदर गाय के थान जैसे आकृति बनी है जहाँ से पानी निकलता है और जटा गंगा के नाम से प्रवाहित होता है , यहाँ के लोग मानते है की ये गुफा ही शिव की जाये है और उनमे से गंगा प्रवाहित हो रही है
शिव मंदिर के साथ साथ यहाँ 125 मंदिरो का समूह है जिसमे 108 शिव मंदिर है और 17 अन्य देवी देवताओ के , कहते है ये सभी मंदिर 1 रात में बनाये गए है , वैसे जिस जागेश्वर नाथ की पूजा हम करते है उनका नाम जागनाथ है और जागेश्वर उस इलाके की मार्किट का नाम है इसीलिए इसे जागेश्वर धाम कहा जाता है। यहाँ पर जागनाथ ,सूर्य मंदिर , नीलकंठ , केदारनाथ , महा मृतुन्जय, बटुक भैरव , हनुमान और पुष्टि माता सहित कई प्रसिद्द मंदिर है और ये सब एक ही जगह पर बने हुए है। और एक कमल कुंड भी है जहाँ लव और कुश ने हवन किया था इस मंदिर का इतिहास २५०० वर्ष पूर्व का है , यहाँ भगवान् शंकर की नागेश स्वरूम की पूजा की जाती है इस मंदिर को भी नागेश दारुका वन कहते है दारुका यानि देवदार के वन जहाँ शिव विराजमान है |
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Jageshwar Dham Full Video
जागेश्वर धाम में कैसे करे परिक्रमा
जागेश्वर धाम पृथ्वी का सबसे पहला शिवलिंग कहा जाता है इस शिवलिंग की पूजा करने का सबसे अलग विधान है जो की शिव को सबसे पसंद है यहाँ आकर इस तरीके से अगर पूजा की गयी तो शिव साक्षात् आपको आशीर्वाद देंगे और इसका अनुभव आपको मंदिर से निकलते निकलते ही हो जायेगा देवदार के घने पेड़ो से घिरा जटा गंगा की गोद में बैठा ये शिव मंदिर आपके जीवन को किस तरह से प्रभावित कर सकता है ये शायद आपको भी नहीं पता,
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- सबसे पहले ब्रहमकुंड के दर्शन करे
- फिर जागेश्वर मंदिर के
- फिर हनुमान मंदिर के
- फिर नील कंठ मंदिर के
- फिर सूर्य मंदिर के
- फिर नव ग्रह मंदिर के
- फिर pushti mata मंदिर के
- फिर महा मृत्युंजय मंदिर के
- फिर हवन कुंड के
- फिर केदारनाथ मंदिर के
- फिर कमल कुंड के
- फिर कुबेर मंदिर के
- आखिरी में बटुक भैरव के
कैसे पहुंचे जागेश्वर धाम (How To Reach Jageshwar Dham )
जागेश्वर धाम अल्मोड़ा में है अगर आप यहाँ आना चाहते है तो रेल, हवाई और सड़क मार्ग उपलब्ध है सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंत नगर हवाई अड्डा है जहाँ से अल्मोड़ा की दूरी 150 किलोमीटर है , और सबसे नजदीकी रेलवे काठ गोदाम रेलवे स्टेशन है जहाँ से जागेश्वर धाम की दूरी 116 किलोमीटर है , सड़क मार्ग से आपको अल्मोड़ा तक आना होगा और अल्मोड़ा से जागेश्वर धाम की दूरी 38 किलोमीटर है