आखिर क्यों पेहेनते है जनेऊ - जनेऊ पहनने के फायदे @skmystic

आखिर क्यों पेहेनते है जनेऊ - जनेऊ पहनने के फायदे @skmystic

जनेऊ क्या होता है ?

जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में यज्ञोपवीत कहा जाता है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे  जनेऊ को बहुत पवित्र माना जाता है।  इसे धारण करने के बाद सात्विक जीवन ही जीना चाहिए।  जो आपके मन को विचलित करें ऐसी चीज़ो से दूर रहे ताकि आप जनेऊ का पूरा पालन कर सके। 

 जनेऊ क्यों पहनते है ?

सनातन परंपरा के अनुसार तीन धागे वाले जनेऊ को धारण करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. माना जाता है कि जनेऊ के तीन धागे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है. वही, जो व्यक्ति विवाहित होता है या गृहस्थ जीवन जीता है उसे छह धागों वाला जनेऊ धारण करना होता है।  

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जनेऊ धारण करने के बाद के नियम 

जनेऊ पहनने के बाद इन नियमों का पालन करना चाहिए :-  

  • जनेऊ को मल-मूत्र विसर्जन के बाद दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए। 

  • हाथ धोने के बाद ही जनेऊ को कान से उतारना चाहिए। 

  • जनेऊ को शरीर से बाहर नहीं निकालना चाहिए। 

  • अगर जनेऊ का कोई तार टूट जाए, तो उसे बदल लेना चाहिए। 

  • जनेऊ को स्नान के दौरान भी नहीं उतारना चाहिए। 

  • जनेऊ को साफ़ करने के लिए, इसे गले में पहने रहकर ही घुमाकर धोना चाहिए।

  • जनेऊ को घर में जन्म-मरण के सूतक के बाद बदलना चाहिए। 

  • जनेऊ को श्राद्ध कर्म करने के बाद, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के बाद बदलना चाहिए। 

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क्या आम आदमी भी जनेऊ पहन सकता है?

हां, हिन्दू धर्म में आम आदमी भी जनेऊ पहन सकता है. जनेऊ पहनने के लिए उपनयन संस्कार करना होता है ।  यह संस्कार सनातन धर्म के 24 संस्कारों में से एक है। जनेऊ धारण करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और नकारात्मकता दूर होती है।  इसलिए लोग इसे पूरी विधान के साथ धारण करते है। जो जनेऊ  धारण करने के बाद नियमों का पालन कर सकता है उसी को जनेऊ धारण करना चाहिए। 

 

जनेऊ को कान पर कितनी बार लपेटे ?

इसमें लगी पांच गांठें पांच ज्ञानेन्द्रिय और पंचकर्म की प्रतीक होती हैं. जनेऊ को अक्सर मल-मूत्र विसर्जन के समय कान पर कस कर दो बार लपेटना होता है। क्युकी जनेऊ को कान पर लपेटने से जनेऊ अपवित्र नहीं होता।  

जनेऊ पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिये ?

जनेऊ पहनने के बाद इन बातों का ध्यान रखना चाहिए: -

  • जनेऊ पहनने के बाद हाथ धोने के बाद ही इसे कान से उतारना चाहिए। 

  • जनेऊ पहनने के बाद थूक नहीं घोटना चाहिए। 

  • जनेऊ पहनने के बाद जब तक दूसरा जनेऊ न पहन लें, तब तक पानी नहीं पीना चाहिए। 

  • जनेऊ पहनने के बाद स्नान के दौरान भी इसे नहीं उतारना चाहिए। 

  • जनेऊ पहनने के बाद अगर कोई धागा टूट जाए या छह महीने से ज़्यादा समय हो जाए, तो इसे बदल लेना चाहिए। 

  • जनेऊ पहनने के बाद घर में जन्म-मरण के सूतक के बाद इसे बदलने की परंपरा है। 

  • जनेऊ पहनने के बाद खंडित जनेऊ कभी नहीं पहननी चाहिए।

  • जनेऊ पहनने के बाद अगर टॉयलेट होना हो, तो जनेऊ को दाहिने कंधे पर कान के ऊपर दो बार मोड़ना चाहिए। 

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जनेऊ पहनने का मंत्र क्या होता है ?

जनेऊ पहनते समय 'ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः' मंत्र बोला जाता है. जनेऊ पहनते समय गायत्री मंत्र का भी 11 बार जाप किया जाता है।शुद्ध मंत्रों के साथ इसे धारण करने से ये शुद्ध हो जाता है। और इसे धारण करने से आपका मन शांत रहता है। 

जनेऊ कौन कौन पहन सकता है ?

हिन्दू धर्म में जनेऊ पहनना सभी हिंदुओं का कर्तव्य है। जनेऊ पहनने के लिए किसी खास जाति का होना जरूरी नहीं है। लेकिन जनेऊ पहनने के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है । और कई लोगो के मन में ये भी सवाल होता है क्या जनेऊ महिलाएं  धारण कर सकती है।   

जिस लड़की को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना हो, वह जनेऊ धारण कर सकती है।

  • जनेऊ अशुद्ध कब होता है ?

जनेऊ इन स्थितियों में अशुद्ध हो जाता है:-

  • मल-मूत्र त्याग के समय जनेऊ को दाहिने कान पर दो बार लपेटना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाए, तो जनेऊ अशुद्ध हो जाता है। 

  • जनेऊ का कोई तार टूट जाए या छह महीने से ज़्यादा समय हो जाए, तो उसे बदल लेना चाहिए। 

  • घर में किसी की मृत्यु हो जाए, तो सूतक खत्म होने के बाद जनेऊ बदलना चाहिए। 

  • जनेऊ कंधे से सरक के बाएं हाथ के नीचे आ जाए, तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए। 

  • श्राद्ध कर्म करने के बाद, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के बाद जनेऊ अशुद्ध हो जाता है।

 

 

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