कहते है जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगड़ सकता , महाकाल भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसका स्थान तीसरे न पे आता है , शिव पुराण के कोटि रुद्रसहिंता में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया है। कहते है दोस्तों की इसी उज्जैन यानि अवंतिका नगरी में एक भोत बड़ा शिवभक्त ब्राह्मण वेदप्रिय रहता था , जिनके 4 बेटे थे और और वह चार भी भगवन शिव के भोत बड़े भक्त थे हर रोज़ पार्थिव शिवलिंग बना के उनकी पूजा किया करते थे और वही दूसरी तरफ रत्नमाल पर्वत पर दूषण नाम का एक राक्षस रहता था जिसे ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था और वरदान के अहंकार में वो सभी ब्राह्मणो को परेशां करता था , और वह अपने अहंकार में इस कदर डूब गया की उनके सभी ब्राह्मणो को खत्म करने का विचार बना लिया , सभी ब्राह्मणो को पूजा करने से रोकना, उनको जान से मार देना और हर रोज़ धर्म कर्म कर्म के काम को करने से रोकना उसे रोज़ का काम हो गया था , और जब बारी महर्षि वेदप्रिय और उनको बेटो की आई तो वो सभी शिव भक्ति में लीं हो गए और दिल से शिव को पुकारने लगे शिव ने उनकी पुकार सुनी और जिस शिवलिंग की पूजा वो करते थे उसी शिवलिंग से प्रकट होकर दूषण नाम के राक्षस का वध किया और सभी ब्राह्मणो का कल्याण किया , उन ब्राह्मणो से शिव से गुहार लगाईं की हे शिव आप हमारे साथ यही विराजमान मान हो जाइये तो शिव शिवलिंग रुपी स्वरुप में उसी जगह में विराज मान हो गए जिसे आज हम महाकाल के नाम से जानते है
History Of Ujjain Mahakal (महाकाल का इतिहास )
भारत की सबसे प्राचीन और धार्मिक नगरी उज्जैन में बसा है महाकाल जिसे हम हर युग में अलग अलग नमो से जानते है , आवंतिका , उज्जयनी, कनकश्रन्गा ये सब उज्जैन के नाम रहे है , उज्जैन भारत के मध्यप्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जहाँ मोक्ष दायनी शिप्रा नदी का प्रवाह होता है , जहाँ बसा है महाकाल का ये अद्भुद मंदिर जो सिर्फ मंदिर नहीं है बल्कि आत्मा को हिला देने वाला स्थान है , यहाँ आकर आप अपने रूप से परिचित होते है
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पौराणिक कथाओ में यह मंदिर 900 से 1000 साल पुराना है जिसका निर्माण उज्जैन के एक राजा विक्रमादित्य ने करवाया था उज्जैन की हर कहानी में आपको राजा विक्रमादित्य की कहानी जरूर मिलेगी , क्युकी वो एक ऐसे राजा रहे है जिन्होंने उज्जैन में १०० से भी ज्यादा सालो तक शाशन किया था , इस मंदिर की खास बात है की जो यहाँ दिल से आता है , दिल से शिव को मानता है और महाकाल शिवलिंग पर किसी भी दुखियारे का जल छु जाता है उसे अपनी समस्या बताने की भी जरुरत नहीं होती स्वयं उसके कष्ट अपने ऐसे बह जाते है जैसे नदी के प्रवाह में कागज़ की नाव , उज्जैन आपकी समस्याओ का एक मात्र इलाज है |
Mahakal Corridor (महाकाल कॉरिडोर )
मुगलो के शाशन काल में ११वी सदी में तुर्किश शाशक इल्तुमिश ने महाकाल मंदिर और यहाँ की ऐतिहासिक धरोहर नस्ट करवा दी थी , उसके बाद हिन्दू राजाओ ने इसका निर्माण फिर से करवाया , महाकाल की मान्यताये इतनी थी थी सात समंदर पार से लोग महाकाल के दर्शन के लिए आते थे लेकिन उस वक़्त दर्शनार्थियों की संख्या ज्यादा थी और महाकाल में व्यवस्थाएं कम। इसी समस्या को देखते हुए प्रधान मंत्री मोदी जी ने यहाँ महाकाल कॉरिडोर बनाने का निश्चय किया और अभी 11 ओक्टुबर 2022 को प्रधान मंत्री मोदी के द्वारा इस भव्य कोदिओर का उद्घाटन हु। जिसमे शिव महापुराण के सभी किरदारों का भव्य वर्णन और चित्रण है , अभी पहले चरण का उद्घाटन हुआ है जिसकी लगत 350 करोड़ है , दूसरे चरण का कोदिओर का कम अभी जारी है जिसकी लगत 450 करोड़ रूपए होगी , यह पूरा कॉरिडोर 900 मीटर लम्बा है जिसमे शिव विवाह, त्रिपुरासुर वध, शिव पुराण और शिव तांडव स्वरूप जैसे भगवान शिव से संबंधित कहानियों को दर्शाते 108 भित्ति चित्र एवं 93 मूर्तियाँ हैं। , जो भगवन शिव के भव्य रूपों को दर्शाती है , राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से मंगाए गए खास बलुआ पत्थर यहां लगाए गए हैं. राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के कलाकारों ने इस कॉरिडोर को तैयार किया है.
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महाकाल मंदिर के ऊपर गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। दक्षिण में नंदी की प्रतिमा है। तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर की मूर्ति केवल नागपंचमी के दिन दर्शन के लिए खुली होती है
महाकाल के ये सफर अभी बहोत लम्बा है जहाँ कदम कदम पर ऐतिहासिक मंदिर और उनकी कहानिया है आप बस बने रहिये मेरे साथ , में आपको दर्शन करवाऊंगा पूरे उज्जैन के
उज्जैन के महत्वपूर्ण मंदिर (Famous Temples In Ujjain Mahakal )
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: उज्जैन का प्रमुख मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के प्रति भक्तों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध है। इस मंदिर में हर दिन नित्य पूजा अर्चना होती है और महाकाल के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त यहाँ आते हैं।
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काल भैरव मंदिर: उज्जैन में यह एक और महत्वपूर्ण मंदिर है, जो काल भैरव को समर्पित है। काल भैरव भगवान शिव के अभिन्न रूप माने जाते हैं और इस मंदिर का दर्शन भी श्रेष्ठ माना जाता है।
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मंगलनाथ मंदिर - इस मंदिर में मंगल दोष से निवारण के लिए पूजा की जाती है जिसके भी ग्रह में मंगल दोष होता है वो यहाँ आके भात पूजन करवा कर अपना ,मंगल दोष हटवा सकता है ।
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हरसिद्धि माता मंदिर - यह माता सती का एक सिद्ध पीठ है यहाँ माता की कोहनी गिरी थी , महल से कुछ की कदमो की दूरी पर माता का यह मंदिर है , लोग जो महाकाल जाते है वो माता के इस मंदिर में जरूर आते है
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गढ़कालिका मंदिर - यह मंदिर कवी काली दस की आराध्य देवी का मंदिर है यहाँ कवी कालिदास में माँ गढ़कालिका की आराधना की यह जह का नाम गड था इस वजह से इस मंदिर का नाम गड कलिका पड़ा , यह मंदिर मां कालिका की पूजा के लिए जाना जाता है।
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कालिका माता मंदिर: उज्जैन में कालिका माता मंदिर भी है, जो मां कालिका की पूजा के लिए जाना जाता है।
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गोपाल मंदिर: यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और यह भी उज्जैन के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
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चिंतामन गणेश मंदिर - इस मंदिर की यह मान्यता है की वनवास के उपरांत भगवन राम यहाँ ए थे इस मूर्ति की स्थापना माता सीता ने की थी
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सांदीपनि आश्रम - इस आश्रम में भगवन श्री कृष्ण ने शिक्षा प्रदान की थी
उज्जैन का ऐतिहासिक सफर भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्वपूर्ण हिस्से को प्रकट करता है। इस शहर के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने का महत्व अत्यधिक है और यहाँ के मंदिर और धार्मिक स्थल भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग हैं। उज्जैन के इतिहास, संस्कृति, और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहाँ के मंदिर और धार्मिक स्थल भारतीय धर्म के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हैं।
उम्मीद है कि आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा और आपको उज्जैन के महकालेश्वर के ऐतिहासिक सफर के बारे में जानकारी मिली होगी। इस धार्मिक और प्राचीन नगर का दर्शन करने से आपका आत्मा शांति पाएगा और आप भगवान महाकालेश्वर की कृपा का अहसास करेंगे।
1 comment
Thanx apny bahot achy say humko sabh kuch bataya samjhaya ujjain nagari say aur usky attit say humko millaya