जितना खूबसूरत हिमाचल है, उतना ही सुंदर यहां का नैना देवी मंदिर है। माँ नैना देवी को 52 शक्तिपीठों में से एक सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है, इस जगह पर माँ सती के नैन गिरे थे , इसी वजह से ये जगह एक शक्ति पीठ कहलाई , सदियों पुरानी मान्यताओं के साथ घिरा यह मंदिर माँ सिर्फ भक्तो की आस्था का प्रतीक है बल्कि चमत्कार का अनोखा केंद्र भी है , श्रद्धालु यहाँ आकर माँ नैना देवी के चमत्कार से रूबरू होते है , मंदिर परिसर बेहद मनमोहक , और सुन्दर है , मंदिर का जो टॉप हेड है वो पूरा सोने की लेयर से कवर्ड है और साथ ही मंदिर के दरवाजे ओर भीतर की दिवारें पूरी चांदी की बनी हुई हैं। मंदिर प्रांगन में भगवान श्री गणेश , श्री लक्ष्मी नारायण, श्वेत बटुक भगवान, हनुमानजी , और माता काली देवी के भी बहुत ही प्यारे मन्दिर देखने को मिलेंगे , माँ नैना देवी के गर्भ पीठ के सामने माता की सवारी के दर्शन भी होंगे , इस मंदिर में आकर मानो ऐसा लगता है जैसे साक्षात् माँ नैना देवी अपने भक्तो को दर्शन देने के लिए लालहित है ,
माँ देवी हिमाचल के बिलासपुर जिले में विराजमान है जहाँ तक पहुंचे बहुत ही ज्यादा सरल है आपको वहां तक जाने के लिए बहुत आसान से कदम उठाने पड़ेंगे , अगर आप नैना देवी की यात्रा का इरादा बना रहे हैं तो आप हिमाचल में स्तित अन्य ५ शक्तिपीठो की यात्रा भी बड़ी आसानी से कर सकते है
कहाँ है नैना देवी मंदिर -
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है
मंदिर तक कैसे पहुंचे -
मंदिर तक पहुंचे के बहुत से रस्ते है , अगर आप अपनी गाड़ी से आ रहे है तो आप मंदिर के ३ किलोमीटर नीचे भाकड़ा नागल वाले रस्ते में विश्राम कर सकते है और वहां से आपको मंदिर तक आने के लिए ट्राली की सुविधा भी मिल जाएगी , अगर आप बस का सहारा लेते है तो बस आपको नैना देवी बस स्टैंड पर छोड़ती है जहाँ से आपको नैना देवी तक जाने के लिए १ किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है
History Of Shaktipeeth In Himachal
- Maa Naina Devi
- Maa Chintpoorni Devi
- Maa Jwala Devi
- Maa Bajreshwari Devi
- Maa Chamunda Devi
नैना देवी मंदिर की कहानी -
नैना देवी माता सतीके 52 शक्तिपीठो में से एक है जिसके पीछे भगवन सजीव से जुडी एक कथा प्रचिलित है जो अपने कही न कही जरूर सुनी होगी , ग्रंथो के अनुसार प्रजापति दक्ष जो भगवन शिव की पत्नी सती के पिता थे उन्होंने हरिद्वार कनखल में एक बहोत बड़ा यज्ञ हवन रखवाया और सभी देवता गणको आमंत्रण दिया लेकिन भगवन शिव और अपनी पुत्री को उस यज्ञ हवन में नहीं बुलाया क्युकी माता सती ने अपने पिता के विरूद्ध भगवन शिव से विवाह रचाया था। लेकिन माता सती उस यज्ञ में जाने को उत्सुक थी भगवन शिव के मना किये जाने पर भी माता सती अपनी पिता के घर उस यज्ञ हवन में चली गयी , लेकिन प्रजापति दक्ष ने माता सती से बिलकुल बात नहीं की और जब माता सती ने अपने पिता से उस यज्ञ में शिव के का स्थान न होने के लिए पूछा तो दक्ष ने माता सती को खूब खरी खोटी सुनाई और भगवन शिव को भी घोर अपशब्द कहे , भगवन शिव को अपशब्द कहे जाने से माता सती बहोत आहत हुई और उन्होंने उसी हवन में कूद पर अपना आत्म दाह कर लिया ,
माँ नैना देवी के साक्षात् चमत्कार की कहानी देखे इस वीडियो में
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जब ये बात शिव जी को पता चली तो शिव जी ने अपना आप खो दिया और उस यज्ञ में पहुँच गए और अपनी पत्नी के शरीर को जलता देख उन्होंने विध्वंश मचाना शुरू कर दिया और माता सती के शरीर के जले हुए शरीर को अपने त्रिशूल में उठा कर पूरे ब्रह्माण्ड में तांडव करने लगे
पूरे ब्रह्माण्ड में हाहाकार देख सभी देवतागण ने भगवन विष्णु जी से इस विध्वंश को रोकने की गुहार लगाई , तब विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को टुकड़ो में विभाजित किया और वो टुकड़े समस्त पृथ्वी लोक में अलग अलग जगह गिरे। जिस जगह वो टुकड़े गिरे थे उन जगहों पर शक्तिपीठो की स्थापना हुई , माँ नैना देवी में माता सती नैन गिरे थे इसी वजह से यहाँ का नाम नैना देवी पड़ा
माँ नैना देवी की मंदिर संरचना -
माँ नैना देवी की मंदिर संरचना अत्यंत अद्भुद है , मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही सफ़ेद रंग से रंगी हुई दीवारे आपका ध्यान मंदिर की ओर आकर्षित करती है और जैसे ही गेट में अंदर प्रवेश करते है तो माता के मंदिर की छत को पूरे सोने की चादर से उड़ाया गया है जो मंदिर को आकर्षित बनता है , गर्भ ग्रह के अंदर जाते ही आपको चांदी से लिपटे हुए दरवाज़े दिख जायेंगे , और माता की मूर्ती सौंदर्य से सुसज्जित है , मंदिर परिसर में २०० वर्ष पुराण पीपल का पेड़ भी दिखेगा , मंदिर में एक सदियों पुराना पीपल का पेड़ है जिसके पास में ही एक हवन कुंड भी है । इस हवन कुंड के बारे में मन्दिर के पुजारियों ने बताया कि इस हवन कुंड में कितनी भी सामग्री डाल दो वो सब चीजें इस कुंड मे समा जाती हैं । और अचंभित करने वाली बात ये है इस हवन कुंड से न तो राख को कभी भी हटाया जाता है और न ही इसका कुंड में कभी भी लेवल बढ़ता है , ये राख खुद ही कुंड के अंदर समा जाती है। मंदिर प्रांगन में भगवान श्री गणेश , श्री लक्ष्मी नारायण, श्वेत बटुक भगवान, हनुमानजी , और माता काली देवी के भी बहुत ही प्यारे मन्दिर देखने को मिलेंगे , दोस्तों माता नैना से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि सालभर में बारिश के महीनों में माता ज्वाला देवी 3 से 4 बार माता नैना देवी से मिलने जरूर आती है , और जब माता ज्वाला देवी यहाँ पर आती हैं तो उस समय पूरे शहर की लाइट चली जाती है और साथ ही बहुत तेज़ तूफान ओर बारिश देखने को मिलती है। भक्तजन माता ज्वाला देवी की इस प्रजेंस महसूस कर सकते हैं।