-:Story Of Devalsari Temple Tehri :-
शिवलिंग के आस पास जल निकासी के लिए मार्ग होना आम बात है और हर शिवलिंग के आस पास आपको वह मार्ग देखने को मिल जाता है जिसे हम जलहरि कहते है, लेकिन भारत में अनेको ऐसे शिवलिंग भी है जहाँ वह मार्ग नहीं होता और उस शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल अपने आप धरती में समा जाता है लेकिन उस जल या दूद का पता नहीं चल पता जो मनुष्य चढ़ाता है, ऐसे ही रहस्य मई मंदिर में आता है शिव का प्रसिद्द मंदिर देवलसारी मंदिर जो की उत्तराखंड के टेहरी जिले में जाखणीधार क्षेत्र के पास में है , यह एक स्वयंभू शिवलिंग है जहाँ पर अगर आप शिवलिंग पर दूद या जल चढ़ाते हो तो वो कहाँ गायब हो जाया है किसी को नहीं पता ये रहस्य आज तक रहस्य है और इस वजह से शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा की जाती है
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भगवान शिव का यह चमत्कारी मंदिर उत्तराखंड की राजधानी से 100 किलोमीटर दूर टेहरी गढ़वाल में बसा है , अगर आप माँ चन्द्रबदनी के दर्शन करने जा रहे है तो इस मंदिर में भी जरूर जाइये क्युकी यह मंदिर बेहद खूबसूरत और जगलो के बीच बसा हुआ है जो यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रिओ की पहली पसंद है , यह एक स्वयंभू शिवलिंग है जहाँ पर चढ़ाया गया जल अर्पित होने के बाद गायब हो जाता है और आपके लाये हुए जल को केवल पुजारी ही अर्पित करता है।
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माना जाता है की की एक चरवाहे की गाय रोज़ाना यहाँ आकर अपने दूद से शिवलिंग पर अभिशेख करती थी मानो वो यह बता रही है की यहाँ पर एक शिवलिंग है और इनकी पूजा होनी चाहिए करीब 20 साल पहले यहाँ इस शिवलिंग की इस तरह से खोज हुई और 16 शताब्दी के कत्यूरिवंश के राजाओ ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण किया
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मदिर के तीसरी पीड़ी के पुजारी राम लाल भट्ट और गगन भट्ट इस मंदिर का जिम्मा सँभालते है और वो कहते है की इस मंदिर के आस पास एक नाग और नागिन का जोड़ा रहता है को अभी तक अनेको लोगो को दिख चुका है और सभी लोग इस जोड़े को भगवन शिव और माँ पार्वती का रूप मानते है कहते है जो भी इस जोड़े को देख लेता है उसकी जिन्दगी में हमेशा खुशहाली आती है और आपकी मुरादे तुरंत पूरी हो जाती है
महारात्रि के दौरान तो यहाँ भक्तो का सैलाब उमड़ पड़ता है और हर जगह से भक्त भगवान शिव के दर्शन करने आते है
कैसे पहुंचे देवलसारी मंदिर ( How To reach devlsari Temple )
मंदिर पहुँचने के लिए, मसूरी से लगभग 40 किलोमीटर और देहरादून से 80 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। देवलसारी गाँव तक पहुँचने के बाद लगभग 7 किलोमीटर की ट्रेकिंग करके मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है |
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