कैसे और क्यों हुई थी देवी दुर्गा की उत्पत्ति?
पुराणों के मुताबिक, देवी दुर्गा का जन्म असुरों के अत्याचारों से परेशान देवी-देवताओं के प्रयासों से हुआ था. देवी दुर्गा का जन्म राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था
देवी दुर्गा के जन्म की कथा :-
- असुरों के राजा महिषासुर ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान पाया था
- वरदान के मुताबिक, वह जब चाहे भैंसे का रूप धारण कर सकता था
- वरदान के मुताबिक, उसे कोई भी देवता या दानव युद्ध में हरा नहीं पाएगा
- महिषासुर ने वरदान में मिली शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर सभी देवी-देवताओं को परेशान कर रखा था
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- तब सभी देवी-देवता ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे सामाधान मांगा
- ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज का वध एक कुंवारी कन्या के हाथ ही हो सकता है
- तब सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज को एक जगह समाहित किया और इस शक्ति से देवी का जन्म हुआ
- इस तरह देवी दुर्गा का जन्म हुआ
साल में दो बार नवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?
साल में दो बार नवरात्रि मनाई जाती है क्योंकि, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान राम ने रावण को हराने के बाद मां का आशीर्वाद लेने के लिए नवरात्रि की प्रतीक्षा नहीं की थी इसके बाद उन्होंने एक बड़ी दुर्गा पूजा की थी
इसी वजह से से ही नवरात्रि का त्योहार साल में दो बार मनाया जाने लगा
नवरात्रि के बारे में कुछ और बातें :-
- साल के पहले महीने चैत्र में पहली नवरात्र होती है.
- चौथे महीने आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है.
- अश्विन महीने में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है.
- नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म के संदर्भ में पवित्र है.
- यह त्योहार 'शक्ति' नामक देवी शक्ति को समर्पित है
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नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई
नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शक्ति स्वरूप माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साल में दो बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त माता की उपासना करते हैं। नवरात्रि में माता की आराधना करने का विधान सदियों से चला आ रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कैसे नवरात्रि की शुरुआत हुई थी? अगर नहीं तो, आज हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी
माता दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूप हैं और नवरात्रि में भक्त आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि की कामना के साथ इनकी उपासना करते हैं। नवरात्रि की शुरुआत जिनके द्वारा हुई थी उन्होंने भी माता से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी। वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी। ब्रह्मा जी ने श्री राम को माता दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी थी। ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक चंडी देवी का पाठ किया था।
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नवरात्रि व्रत सबसे पहले किसने रखा था
सबसे पहले राम जी ने ही नवरात्रि के व्रत रखे थे। भगवान राम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ने से पहले मां दुर्गा की उपासना की थी। यही कारण है कि नवरात्र के नौवें दिन को रामनवमी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, राम को नौ दिनों की उपासना करने का सुझाव ब्रह्मा जी ने दिया था।