चंडी देवी मंदिर का इतिहास - 1200 साल पुराना मंदिर - Haridwar Temple Series

चंडी देवी मंदिर का इतिहास - 1200 साल पुराना मंदिर - हरिद्वार मंदिर श्रृंखला

हरिद्वार में बहुत से ऐतिहासिक मंदिर हैं जिनमे से मनसा देवी, चंडी देवी, दक्षेश्वर महादेव, बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर और अन्य मंदिरों के दर्शन और सभी का इतिहास अपने में चौंका देने वाला है जिनमे से आज आपको मां चंडी देवी मंदिर के बारे में बताएं , हरिद्वार के सभी मंदिरों में जा कर उनके इतिहास के बारे में पता कर रहे हैं अगर आप मेरी इस यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो स्किटिक ब्लॉग को जरूर देखें और वीडियो अच्छा लगे तो सब्सक्राइब करें

लाल मूंगा बहुत से लोग अचंभित करते हैं लेकिन लाल मूंगा के फाये और नुक्सान देखने के बाद आप इसे पहनेंगे तो आपको सही परिणाम मिलेंगे

चंडी देवी का मंदिर बनाया गया

चंडी देवी मंदिर की रहस्यमयी बात करें तो मां की मंशा 1200 से भी ज्यादा साल पुरानी है इस मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हुआ था, इस मंदिर का निर्माण आदिगुरु शंकर चार्य ने किया था लेकिन मंदिर की आधुनिक नींव कुछ 150 से 200 साल पुरानी है। इस मंदिर का निर्माण 1929 में हुआ था। कश्मीर के राजा सुच्चत सिंह ने यहां काम किया था। यह मंदिर शिवालिक पहाड़ों के नील पर्वत पर स्थित है, जो हरिद्वार का मुख्य पांच तीर्थ है, यहां से मां चंडी देवी का मंदिर मुख्य तीर्थ है। आपमें गौरव गौरव है,

चंडी देवी मंदिर हरिद्वार

चंडी देवी मंदिर का इतिहास

पौराणिक कथाओं की मानें तो राक्षसों के दो राजा शुभ और निशुंभ और दानव राजाओ ने सवार पर कब्ज़ा करना चाहा तब सभी देवताओं ने माता पार्वती से मदद की, माता पार्वती ने अपने तेज से माँ चंडी देवी को जन्म दिया, माँ चंडी देवी ने खुद को एक बेहद सुंदर स्त्री के रूप में ढाल और दानवों के पास के सांप में ले लिया, स्त्री की प्राकृतिक देख उन दानवों ने विवाह का प्रस्ताव रखा, विवाह का प्रस्ताव खारिज कर दिए जाने के बाद शुंभ और निशुंभ ने अपने दो राक्षसों के रूप में दानवों को मां चंडी बना लिया। रूपी सुंदर स्त्री को मृत्यु के लिए भेजा गया था, लेकिन वाहन उनका संघ हो गया, फिर माता के हाथो शुंभ और निशुंभ का भी अंत हो गया, उनकी खतना करने के लिए माता ने नील पर्वत पर विश्राम किया और हमेशा के लिए विराज मान हो गया, आज की तरह वहां माता का बहुत विशाल मंदिर है, और जो भी हरिद्वार में आता है वह वहां अपनी माता की टेक जरूर लेता है और मां चंडी देवी का आशीर्वाद पाता है

कैसे दक्षिण अफ्रीका में चंडी देवी मंदिर

मां चंडी देवी के आगमन के लिए आपके पास चंडी घाट से तीन रास्ते हैं और यहां तक ​​कि तीन रास्ते हैं पहला पैदल मार्ग, सड़क मार्ग और उड़न खटोला मार्ग अगर आपके पास कोई रास्ता नहीं है तो आप पैदल मार्ग से तीन किमी की यात्रा तय करें अगर आपके पास अपना डिपाहिया वाहन है तो आप मंदिर तक स्कूटी या बाइक से आ सकते हैं और उड़न खटोले से आना चाहते हैं तो आप 250 रुपये का भुगतान कर दोस्तों का नजारा लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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