हरिद्वार के मंदिर श्रखलाओ में दक्ष प्रजापति मंदिर का नाम आया है तो हरिद्वार की बात अधूरी रहेगी लेकिन बहुत काम लोगों को हरिद्वार के इस मंदिर के बारे में पता है तो आज में आपको हरिद्वार के ऐसे दिव्य मंदिर के बारे में बताऊंगा जो 52 शक्ति पूर्णिमा का केंद्र बिंदु है, जिस स्थान की वजह से हमें 52 शक्तिपीठ मिले। इस मंदिर का नाम दक्ष प्रजापति मंदिर है जो कि हरिद्वार में स्थित है।
वैसे तो कनखल का इतिहास काफी पुराना है जब मां गंगा धरती में भी अवतरित नहीं हुई थी तब कनखल और दक्ष मंदिर की नीव रखी गई थी।
तो आइए जानते हैं दक्ष प्रजापति मंदिर का इतिहास
प्रजापति दक्ष ने अपने कनखल में एक यज्ञ कीर्तन आयोजित किया था, जिसमें उन्होंने सभी देवी देवताओं, यख, गंधर्व किन्नरों को उपदेश दिया था, केवल शिव को उपदेश नहीं दिया था, लेकिन शिवजी के लाख मना करने पर भी दक्ष पुत्री माता सती ने अपने स्वामी कनखल में अपना यज्ञ कीर्तन आयोजित किया था। शामिल होने के लिए चले गए, सभी ने अपना आदर सत्कार किया, लेकिन उनके पिता दक्ष ने उनका सत्कार नहीं किया, जब माता सती ने उस यज्ञ में सभी देवताओं का स्थान देखा और फिर वहां शिव का स्थान नहीं मिला, तो ये देख कर माता सती ने अपने पिता ने उनसे उनकी जगह न होने का कारण पूछा तो दक्ष होने ने
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उनकी भरी सभा में अपमान किया गया साथ ही साथ शिव का भी घोर अपमान किया गया तब माता अपने
पति का अपमान सहने नहीं कर पाया तो उन्होंने उस स्नान कुंड में बात कर अपने शरीर की आहुति दे दी, ये शिव शिव को पता चला तो उनके क्रोध का आवेश बहुत बढ़ गया और उस यज्ञ वास में जा कर उन्होंने पूरा वध कर दिया। दिया और उनके सिद्धांत से वीर भद्र निकला राजा दक्ष का सर काट कर उसी यज्ञ के घर में डाल दिया और माता सती के अधजले
शरीर को अपने त्रिशूल में उठा कर पूरे ब्रह्माण्ड में विचारने लगे। ये देख सभी देवगण चिंतिच हो गए और सशक्त हो गए। तब उन्होंने भगवान विष्णु जी के शरण ली, विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए गए वो टुकड़े 52 में विभाजित कर दिए और दुनिया के अलग-अलग कोनो में मूर्ति बना दी। जहां जहां मां सती के देह केट के टुकड़े वो स्थान कलयुग में शक्तिपीठ कहलायी। इसी कनखल को इन 52 शक्तिपीठो का उत्पत्ति केंद्र माना जाता है।
इनमें से एक के अलावा हरिद्वार में माता चंडी देवी मंदिर , मनसा देवी मंदिर , बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर, और माया देवी मंदिर है और इनके अलावा सबसे अधिक पुराणी मान्यता ये है कि दक्ष महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब मां गंगा धरती पर अवतरित भी नहीं हुई थीं तब दक्षेश्वर महादेव मंदिर की परिभाषा ये बनी है,
पाताल मुखी लिंग
दक्ष मंदिर, हरिद्वार के कनखल में स्थित महादेव का एक बेहद खूबसूरत मंदिर है, जगन भगवान शिव के साथ दक्ष प्रजापति, माता सती का कुंड और महादेव की मूर्ति और इस मूर्ति की खास बात यह है कि यह मूर्ति आकाश से पाताल की ओर जा रही है कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति ने इस शिवलिंग की स्थापना की है, हर रोज इस शिवलिंग की पूजा की जाती है और वैसे ही हर रोज इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है लेकिन सावन मास में इस शिवलिंग के दर्शन दुर्लभ होते हैं। और भक्तों की भीड़ इस भोले बाबा के इस अद्भुद चमत्कारी मंदिर के दर्शन करने के लिए कनखल के दक्ष मंदिर में आएं।
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माँ सती का जन्म स्थान
इस मंदिर में माता सती का जन्म कहां हुआ है, ऐसा कहा जाता है कि दक्ष मंदिर में मां सती ने जन्म लिया था।
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