माँ पुंड्यासिनी देवी की कहानी - Rani Chauri Tehri -  The Goddess Of Luck

माँ पुंड्यासिनी देवी की कहानी - Rani Chauri Tehri - The Goddess Of Luck

दोस्तों माँ पुंड्यासिनी माता का अद्भुद मंदिर बसा है टेहरी गढ़वाल के  साबली गांव में जो रानी चौरी नाम की जगह पर पड़ता है, माँ यहाँ जीवंत स्वरूम में इस गांव की कुलदेवी के रूप में इस गांव  की रक्षा करती है , और यहाँ का बच्चा बच्चा माता के चमत्कार से वाकिफ है, तो चलिए  आज माता के चमत्कार के बारे में चर्चा करते है  की कैसे माँ इस गांव की कुलदेवी बनी , कैसे लोगो की श्रद्धा माँ पर अटूट हो गयी और जब माँ की कृपा भक्तो पर पड़ी तो हर घर धन धन्य से भर गया जिसके फ़लस्वरूम माँ को लोगो ने न यकीन करने वाले दान श्रद्धा स्वरुप दिए |

संतान प्राप्ति के लिए यहाँ आते है लोग 

Story Of Maa Pundyasini -Rani Chauri Tehri 

इस देवी के इस गांव में आने की भी अद्भुद कहानी है , दोस्तों श्रीनगर के पास एक गांव आता   है बुगानी जहां बहुगुणा लोग रहा करते थे जब वो लोग इस जगह पर बसने आये तो देखा वास्तु के हिसाब से  किस जगह पर बसना सही रहेगा और जब वो यहाँ पर आये तो अपनी माँ पुंड्यासिनी को भी यहाँ ले कर के आये , मूल रूप से ये देवी पौड़ी गढ़वाल की है और गौरजा यानि शक्ति का स्वरुप है , जब  माता को यहाँ लाया गया तब यह सब कुछ बंजर था , व्यावसायिक खेती नहीं थी , समय के साथ साथ लोगो ने इस जगह का विस्तार किया , और धान की खेती शुरी की पुराने ज़माने में जिन पठारों से घर की छत बनाई जाती थी जिसे पठाली कहते थे उन पथ्हर   से माँ का एक बेहद छोटा सा मंदिर बनाया गया और  वही पर एक मोल का पेड़ लगाया गया ,

 

Swami Kartikey Temple - History : Trek, वन देवी

काफी समय  बीत जाने के बाद जब सब कुछ व्यवस्थित हो गया , घर परिवार वहां बस गए , फसल उगना शुरू हुई , मंदिर भी छोटे से थोड़ा बड़ा  हुआ और सभी सभी अपना जीवन जीने लगे, तभी एक दिन उस गांव  के मंदिर में और खेतो में  फसल की चोरी हुई और गांव  वालो को एक आवाज़ सुनाई थी की हे मेरे मैत्यो , तुम यहाँ सो रहे हो और तुम्हारी खेतो में चोरी हो रही है , मंदिरो में चोरी हो रही है और तुम सो रहे हो, लेकिन चोरो ने अपनी मन्त्र प्रक्रिया से गांव वालो को सुनाई देने वाली आवाज़ को बंद कर दिया और  गांव वालो ने आवाज़ तो सुनी  लेकिन अनसुना कर दिया , अगले दिन जब लोगो देखा की चोरी हो चुकी है , तब वो माता के पास गए , लेकिन माता  उनसे अब नाराज़ हो चुकी थी , और वहा से वापस अपने गांव बुगानी जाने के लिए कहाँ , लोगो ने खूब मनाया तब जेक माता ने कहाँ ठीक है तुम मुझे यहाँ रखना चाहते हो तो मेरे एक दूसरा मंदिर पहाड़ी के दूसरी तरफ बनाओ और गांव की तरफ मेरी पीठ रखना , गोअन वालो ने भी ऐसा ही किया और निरंतर माँ की सेवा में लग गए , तब से आज का दिन है गांव में कभी कोई परेशनी नहीं आई , और माता की कृपा से आज सभी गांव वाले धान धन्य से परिपूर्ण है , और माता को कई न यकीन देने वाले दान दिए , जैसे अपनी जमीने , बड़ी धान राशि और ना जाने क्या क्या |

माँ की पूजा इस मंदिर में भी होती है और दूसरे पर्वत पर स्थित मंदिर में भी होती है , मुख्य रूप से दो हरियाली उत्तराखंड में पड़ती है एक नवरात्री की और चैत्र माह , तो नवरात्री की हरियाली इस मंदिर में डाली जाती है और चैत्र जो  हमारा नया साल माना जाता है उसकी दूसरे मंदिर में   डाली जाती है 

history of katarmal sun temple almora

आस्था से ही सब कुछ होता है और आस्था से ही मनुष्य को एक नया जीवन मिलता है , अगर हम हर    चीज़ में सबूत मांगेंगे तो हम अपने आप को कही पर भटका हुआ पाएंगे

ब्लॉग पर वापस

एक टिप्पणी छोड़ें