शंख क्या है ?
शंख का हमारे धर्म में बड़ा महत्व होता है. शंख मुख्य रूप से एक समुद्री जीव का ढांचा होता है. पौराणिक रूप से शंख की उत्पत्ति समुद्र से मानी जाती है यह भगवान विष्णु के दाएं ऊपरी हाथ में शोभा पाता दिखाया जाता है। धार्मिक अवसरों पर इसे फूँक कर बजाया भी जाता है। और कही -कही इसे लक्ष्मी जी का भाई भी मानते है।
शंख एक समुद्री जीव का खोल होता है, जिसका इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
शंख के खोल में 95% कैल्शियम कार्बोनेट और 5% कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
- शंख को भगवान विष्णु का प्रिय वाद्य यंत्र माना जाता है।
- शंख को बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों में से एक माना जाता है।
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शंख के कितने प्रकार होते है ?
शंख के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार ये रहे।
- दक्षिणावर्ती शंख :- यह शंख माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. यह बहुत मुश्किल से मिलता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख जिस घर में रहता है, वहां धन-धान्य की कमी नहीं होती।
- वामावर्ती शंख :- पूजा में इस्तेमाल होने वाला वामावर्ती शंख का घेरा बाईं तरफ होता है. इसे कान पर लगाने से इसमें ध्वनि सुनाई देती है।
- मध्यवर्ती शंख :- इसे गणेश शंख भी कहा जाता है।
- कामधेनु शंख :- इसका आकार गाय के मुख जैसा होता है. मान्यता है कि इसे घर में रखने से सारे काम पूरे हो जाते हैं।
- गणेश शंख :- भगवान गणेश की पूजा में गणेश शंख रखने का विशेष महत्व होता है।
शंखों की शक्ति का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। महाभारत में लगभग सभी योद्धाओं के पास शंख होते थे। भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।
असली शंख की पहचान कैसे करें?
असली शंख की पहचान करने का तरीका है उसे बजाकर देखना। यदि उस शंख में से निकलने वाली ध्वनि में किसी तरह की कंपन नहीं है और आवाज़ खोखली लग रही है तो वह शंख असली नहीं है। अगर शंख में पाउडर या केमिकल से बनावट है, तो वह काफी स्पष्ट दिखती है। और शंख अच्छे से नहीं बजता।
शंख से जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ
शंख का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व बहुत है।
धार्मिक महत्व :- शंख को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान शंख एक रत्न के रूप में मिला था. माना जाता है कि शंख, माता लक्ष्मी के साथ ही उत्पन्न हुआ था, इसलिए इसे माता लक्ष्मी का अनुज माना जाता है. शंख को पूजा की वेदी पर स्थापित किया जाता है।
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वैज्ञानिक महत्व :- शंख बजाने से जुड़े कुछ वैज्ञानिक लाभ ये हैं।
- शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है।
- शंख बजाने से आस-पास के कीटाणु खत्म हो जाते हैं।
- शंख बजाने से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां कम होती हैं।
- शंख में थोड़ा चूने का पानी भरकर पीने से शरीर में कैल्शियम की स्थिति अच्छी रहती है।
शंख का धार्मिक उपयोग :-
- शंख का धार्मिक महत्व इस प्रकार है।
- शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है. मान्यता है कि शंख और माता लक्ष्मी दोनों समुद्र मंथन के दौरान ही अस्तित्व में आए थे।
- शंख को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अपने हाथों में धारण करते हैं।
- शंख को पूजा घर में रखा जाता है और पूजा के समय शंख बजाया जाता है।
- शंख बजाने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शंख से निकलने वाली ध्वनि से वातावरण भक्तिमय होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- शंख में थोड़ा सा चूने का पानी भरकर पीने से कैल्शियम की स्थिति अच्छी रहती है।
- शंख बजाने से हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है।
- शंख को पूजा के स्थान पर रखते समय खुला हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।
- शंख को हमेशा भगवान विष्णु, लक्ष्मी या बाल गोपाल की मूर्ति के दाहिनी ओर रखें।
- शंख बजाने का नियम आरती के दौरान भी होता है।
- शंख को दिवाली, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि सहित कुछ विशेष नक्षत्रों के शुभ मुहूर्त पर स्थापित किया जाता है।
इसका निष्कर्ष :- शंख की ध्वनि कई रोगों में लाभदायक है। शंख की ध्वनि लगातार सुनना हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। इससे हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती हैं। शंखनाद पर हुए कई शोधों का यह निष्कर्ष निकाला कि इसकी तरंगें बैक्टीरिया नष्ट करने के लिए एक तरह से श्रेष्ठ और सस्ती औषधि है।
शंख की ध्वनि आपके मन को और दिमाग को शांत करती है। इसका उपयोग आपको शुभ फल देता है घर की नकारात्मकता दूर होती है।
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